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साढ़े तीन घंटे में कानपुर से दिल्ली सफर का सपना जल्द साकार होगा


साढ़े तीन घंटे में दिल्ली सफर का सपना जल्द साकार होगा



04 Sep 2019

सब कुछ ठीक रहा तो अगले साल के अंत तक कानपुर से दिल्ली तक ट्रेन का सफर साढ़े तीन घंटे में पूरा होगा। इसके साथ ही कानपुर सेंट्रल पर एक आदर्श स्टेशन की तरह यात्रियों को सुविधाएं मिलेंगी। मंगलवार को रेलवे बोर्ड के कार्यकारी निदेशक ए रेड्डी वंदेभारत से फुट प्लेट (चालक केबिन में बैठकर सफर करना) तो जाते समय विंडो ट्राली निरीक्षण (पीछे शीशायुक्त कोच लगा ट्रैक देखना) के साथ कानपुर सेंट्रल पर स्पीड बढ़ाने पर मंथन किया। कानपुर सेंट्रल पर उनके साथ उत्तर मध्य रेलवे के मुख्य यात्री यातायात प्रबंधक डीके वर्मा, एनआर के सीपीटीएम अजीत सिंह, डीटीएम के अलावा कानपुर सेंट्रल के डायरेक्टर हिमांशु शेखर उपाध्याय, वरिष्ठ स्टेशन अधीक्षक आरएनपी त्रिवेदी मौजूद रहे। यात्री सुविधाओं पर चर्चा हुई। बताया गया कि पीपीपी के तहत स्टेशन की सुविधाओं को देने की तैयारी है। तेजस भी जल्द ही दिल्ली से लखनऊ वाया कानपुर चलेगी। बाद में सेंट्रल स्टेशन पर सुविधाओं का एक प्रस्ताव बनाकर भेजने को कहा गया।

डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर चालू होते ही ट्रेनों की गति बढ़ेगी

ट्रैक उच्चीकरण की बाधाओं को बारीकी से परखा: रेलवे बोर्ड के कार्यकारी निदेशक ए रेड्डी ने दिल्ली से कानपुर तक के ट्रैक के उच्चीकरण और ट्रेनों की गति 160 किमी. करने में आ रही बाधाओं की बारीकियों को पहले जाना। इस कारण वंदेभारत एक्सप्रेस से वह चालक केबिन में बैठकर कानपुर तक आए। इसके बाद वापसी उन्होंने कालका मेल से की। कानपुर से दिल्ली जाते समय विंडो ट्राली से निरीक्षण किया। इसके जरिए ट्रैक के उछाल से लेकर सिग्नल प्वाइंटों की खामियों को जाना।

160 किमी. की गति से ट्रेन चलाने पर मंथन: कार्यकारी निदेशक (कोचिंग) ए रेड्डी कानपुर आने के बाद उत्तर मध्य रेलवे के मुख्य यात्री, यातायात प्रबंधक डीके वर्मा, उत्तर रेलवे के सीपीटीएम अजीत सिंह और कानपुर सेंट्रल के डायरेक्टर हिमांशु शेखर उपाध्याय की मौजूदगी में कानपुर सेंट्रल के विकास और यात्री सुविधाओं पर मंथन किया।


दो टर्मिनल स्टेशन की दरकार: रेल यात्री सुविधाओं को लेकर कार्यकारी निदेशक संग हुई मंत्रणा में कानपुर सेंट्रल के डायरेक्टर हिमांशु शेखर ने कहा कि कानपुर सेंट्रल पर यात्री सुविधाएं तभी बढेंगी, जब कम से कम दो टर्मिनल स्टेशन विकसित होंगे। ये टर्मिनल या तो किसी रूट पर नए बनें या फिर मुख्य रेलमार्गों पर स्थित स्टेशनों में से किसी को टर्मिनल का दर्जा देकर उसे चलाया जाए। कानपुर सेंट्रल पर दो-चार फीसदी ही ट्रेनें बढ़ सकती हैं क्योंकि वहां पर और प्लेटफार्म बढ़ना संभव नहीं है।