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शोधपत्र प्रकाशित कराने पर मिल जाएगी नेट से छूट


केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री डॉ. राम शंकर कठेरिया से नेट में छूट दिए जाने के आश्वासन मिलने के बाद पीएचडी धारकों के लिए बड़ी अच्छी खबर है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) की ओर से 24 जुलाई 2015 को विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति में नेट से छूट के लिए गठित प्रो. अरुण निग्वेकर समिति में आपसी सहमति बन गई है। नेट से छूट देने पर 2009 के पहले पीएचडी करने अथवा पंजीकरण करवाने वाले लगभग नौ लाख पीएचडी धारकों को राहत मिल सकती है।  समिति की बैठक में अच्छे रिसर्च जर्नल्स में शोधपत्रों के प्रकाशन कराने वाले अभ्यर्थी को नेट से छूट देने पर सहमति बनी है।


मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से गठित कमेटी की बुधवार को हुई बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि पीएचडी धारकों को नेट से छूट कुछ शर्तों के साथ दी जाए। सूत्रों का कहना है कि समिति ने फैसला किया है कि असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति में गुणवत्ता से किसी प्रकार का समझौता नहीं किया जाएगा। यूजीसी के पूर्व चेयरमैन की अध्यक्षता में गठित समिति ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों में तदर्थ शिक्षकों के मानदेय में भी बढ़ोत्तरी की सिफारिश की है। प्रो. निग्वेकर की अध्यक्षता में गठित समिति अब यह बताएगी कि कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों में किस प्रकार से योग्य शिक्षकों की नियुक्ति की जाए।

निग्वेकर समिति की बैठक में तय हुआ कि 2009 से पहले पीएचडी अथवा पंजीकरण करवाने वालों को नेट से छूट दे दी जाए। सूत्रों का कहना है कि बैठक में इस बात पर चर्चा हुई कि ऐसे पीएचडी धारक जिनकी उम्र 40 से 45 वर्ष हो चुकी है, उन्हें अब नेट पास करने के लिए कहना उचित नहीं है। इन पीएचडी धारकों की क्वालिटी ठीक करने के लिए अच्छे पब्लिकेशन में शोधपत्रों के प्रकाशन की शर्त लगाई जाएगी। निग्वेकर समिति की जल्द ही एक बैठक बुलाई जाएगी, जिसमें रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया जाएगा।